Short Story : मोगली के 'जंगल में मंगल' का माहात्म्य बढ चुका है! सूरजपे मंगल भारी हो गया है |

Story title : मोगली के 'जंगल में मंगल' का माहात्म्य बढ चुका है! सूरजपे मंगल भारी हो गया है |

( कथा की पार्श्वभुमी:)
मोगली अपने बाप के खुनी को ढुंढते ढुंढने जंगल में आ चुका है | नदी के उस छोर के राधा के घर से रेडिओ पर गाने की धुन सुनाई दे रही है......" ये कहाँ आ गये हम...."
यहाँ बगीरा मोगली सुरक्षीत कैसे रहें
उसके बारे में चिंतीत है | और वहाँ
मोगली का दोस्त भालू उसे जंगलराज के बारे में समझा रहा है |

इस जंगल में सात्वीक, राजसीक और तामसीक ऐसे ३ प्रकार के जीव रहते है | उनके स्वभाव, खानपान कभी भी एकदुसरेसे मेल नहीं खाता | मगर वो एक दुसरों को खाते रहते है और सतातें रहते है |

शहद को अमृत के समान माना गया हैं।
लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि शहद को अगर कुत्ता चाट ले तो वह मर जाता हैं।
यानी जो भालू ओं के लिये अमृत हैं वह शहद कुत्तों के लिये जहर है।
शुद्ध देशी गाय के घी को औषधीय गुणों का भंडार मानता हैं।
मगर आश्चर्य, गंदगी से प्रसन्न रहने वाली मक्खी कभी शुद्ध देशी घी को नहीं खा सकती।
गलती से अगर मक्खी देशी घी पर बैठ कर चख भी ले तो वो तुरंत तड़प तड़प कर वहीं मर जाती है।
मिश्री को भी औषधीय और श्रेष्ठ मिष्ठान्न माना गया हैं।
लेकिन आश्चर्य, अगर गधे को एक डली मिश्री खिला दी जाए, तो कुछ समय में उसके प्राण पखेरू उड़ जाएंगे।
यह अमृत समान श्रेष्ठ मिष्ठान, मिश्री गधा कभी नहीं खा सकता हैं।
नीम के पेड़ पर लगने वाली पकी हुई निम्बोली में कई रोगों को हरने वाले औषधीय गुण होते हैं। उसे "उत्तम औषधि" कहता हैं।
लेकिन रात दिन नीम के पेड़ पर रहने वाला कौवा अगर निम्बोली खा ले तो उस कौवे की मृत्यु निश्चित है।
मतलब, इस धरती पर ऐसा बहुत कुछ हैं... जो भालूओं लिये अमृत समान हैं, गुणकारी है, औषधीय है...
पर इस धरती पर ऐसे कुछ जीव ऐसे भी हैं जिनके लिये वही अमृत... विष है।
भालूके लिए जो सात्वीक गुणकारी अमृत औषधि है।
वो कुत्तों ,
मक्खियों ,
गधों
और
कौवों आदि के लिये... विष समान है।
इसलिये जंगलराजमें यह कुछ तत्व भालूओं से भयभीत रहते है | जंगलराज में कोई किसीसे प्रेम नहीं करता और नाही करने देता है | यहाँ सिस्टीम अपने आप बनती जाती है | राजा को बनानी नहीं पडती | यहाँ राजा सिर्फ शिकार टपकाने और मान लेने के लिए तथा खुद के मन की बातें करने के लिए बैठा है | जंगलराज में जानवर अपने बच्चों तक की जिमवेदारी भी नहीं लेते तो जंगल का राजा क्या लेगा?
जो बच्चा चिल्लाता है उसे शिकारी सबसे पहेले टपकाता है इसिलिए यहाँ कोई चिल्लाता नहीं | डर और खौफ में जीता मरता रहता है | जिम्मेदारी तो हर जीव को अपने आप ही उठानी पडती है और आत्मनिर्भर होना पडता है | जंगल में सबसे होशियार वो बंदर होते है जो राजा की चापलूसी करने में जुटे हुए होते है |

Disclaimer: This short-story is taken from world famous novel 'the Jungle book' & it has no relation with any living or dead person. If you found then ignore it as just a coincidence.

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