आँख की डॉली !


काली है, तु काली ! 
मेरे आँख की, डॉली !

बगैर तेरे, देख सका कौन ? 
सुबह सुरज, की लाली ? ॥ धृ ॥


तुझे नजर काहे लगे ? 
तु खुद एक नजर है !

जहाँ देखू, वहाँ तु है ! 
पेडपत्ता डाली डाली ! ॥ १ ॥ 


तु आँखो का है, सहारा ! 
हरपल बना रही, नया नजारा !

तु है, इसलिए देख सके सब, 
निला समंदर और हरियाली ! ॥ २ ॥ 


तु मेरे अंदर भी है, 
और बाहरभी तो, है, तु, ही !

तेरेसे ही तो, नामरूप है, 
और नयनज्योती, जु, ही ! ॥ ३ ॥


क्षणभर की पत्नी तुम, 
अनंत काल की माता हो !

हनुमान के मदद बीना, 
तुझे किसे हॅण्डल करना आता हो ? ॥ ४ ॥ 







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